गुरुवार, 19 नवंबर 2009

हंसलो नहीं है मितर थारो ये भोली काया

हंसलो नहीं है मितर थारो ये भोली काया

हंसलो मित्तर कोनी थारो ए

तू जाने काया मैं ठग राख्यो, यो हंसलो आप ठगोरो ए

भोली काया, हंसलो मित्तर कोनी थारो ए॥टेर॥

अमर लोक से आयो म्हारो हंसलो

यो आयो अखन कंवारो ऐ

ई हंसले ने ब्याह रचायो

यो ही है पीव तिहारो ये भोली काया....॥1॥

काढ र ल्यायी कढाय कर ल्यायी मैं तो

फिर फिर ल्यायी रे उधारो

इ हंसले ने कदे न भूखो राख्यो

सौपं दियो घर सारो ये भोली काया....॥2॥

जल गया तेल या बुझ गयी बाती तो

मंदिर भयो अंधियारो ए

ले दिवलो मैं तो घर घर डोली

मिल्यो कोनी तेल उधारो ये भोली काया....॥3॥

दोय दिन अथवा चार दिन को पावणो

यो लाद चल्यो बिनजारो ये

तू जो कवे तो हंसला संग चलूगा

छोड़ चल्यो मझधारो ए भोली काया....॥4॥

उड़ गया हंस या टूट गई टाटी तो

माटी में मिल गयो गारो

कहत कबीर सूणो भाई साधो

निकल गयों चेजारो ये भोली काया...॥5॥

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