बुधवार, 18 नवंबर 2009

भजन मत भूलो एक घड़ी

भजन मत भूलो एक घड़ी, शबद मत भूलो एक घड़ी

काया पूतलो पल में जासी, सिर पर मौत खड़ी ॥टेर॥

इण काया में लाल अमोलक, आगे करम कड़ी

भँवर जाल में सब जीव सून्या, बिरला ने जाण पड़ी 1

इण काया में दस दरवाजा, ऊपर खिड़क जड़ी

गुरु गम कूँची से खोलो किवाड़ी, अधर धार जड़ी 2

सत की राड़ लड़ै सतसूरा, चढ्या बंक घाटी

गगन मण्डल में भर्या भंडारा, तन का पाप कटी 3

अखै नाम नै तोलण लाग्या, तोल्या घड़ी घड़ी

अमृतनाथजी अमर घर पुग्या, सत की राड़ लड़ी 4

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